प्रवासी एकता न्यूज़:- रोहित चौधरी 9660317316
21 जनवरी 2023 पड़ासली राजसमन्द, मुनि श्री प्रसन्न कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा – प्राचीन समय मे गुरुकुल में श्रम युक्त संस्कारों की शिक्षा दी जाती थी। शिक्षा में संस्कार जरुरी है तो श्रम भी जरूरी है। श्रम के अभाव में सुविधाबाद बढ़ता है। सुविधा वाद आटन स्य और प्रामाणिकता को जन्म देता है। संस्कारों में भी शिक्षा मिलती है। असफलता भी सफलता का मुख्य कारण बन सकता है यदि चिंतन सही हो तो महात्मा गांधी,

भने स्कूली शिक्षा में पढ़ने में कम नम्बरों से पास होते थे पर उनका जीवन संस्कारो से सम्पन्न था। आज हमारे साथ मुनि सिद्धप्रज्ञ जी आये है जिन्होंने समन अवस्था में 22 देशों की यात्रा करके भारतीय संस्कर्ति ध्यान योग और जीवन सेली का भरपूर प्रचार प्रसार किया। इससे पूर्वा मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने कहा जो विद्यार्थी छोटी उम्र से अपने जीवन का लक्ष्य बनाता है वह बहुत जल्दी एक दिन अपने लक्ष्य को प्राप्त हो जाता है

लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एकाग्रता संकल्प अच्छी स्मृति ओर नीति शुद्ध होना जरूरी है। जीवन विज्ञान के द्वारा सर्वांगीण विकास को प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर मुनि सिद्धप्रज्ञ जी एकाग्रता, स्मृति विकास, मानसिक शांति, सुंदर लेखनी ओर जागरूकता व संतुलन के लिए प्रेक्षा ध्यान, योग, अनुप्रेक्षा, संकल्प एवं मंत्र योग आदि के प्रयोग कराएं।

कार्यक्रम से प्रभवित होकर 300 से अधिक बालक वालिकाओ ने अणुव्रत के स्वीकार किये। स्कूल की ओर से शिक्षक अश्व रत्न भारतीय ने स्वागत ओर संयोजक ने आभार व्यक्त किया। कार्यकम में सभी शिक्षक वर्ग बड़ी रूचि से भाग ले रहे थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में तपस्वी श्री धर्मचंद बडाला व तेरापन्थ समाज के कार्यकर्ता श्री गुणसागर जैन का सराहनीय योगदान रहा।
